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अणी वेबसाईट हुँ तमई मलवानो मोको मळ्यो हे, तणी अमँ परमेसर नो धन्यवाद करँ हँ,के तमँ अणी वेबसाईट माय आया। अणी वेबसाईट हुँ तमई धरम सास्तरमा नी कईक वात हीकवा मळहीँ। अमँ एवी आसा करँ हँ के जेरँ तम पोत्तेस आत्मा माय बढवा हारु अणी वेबसाईट नी वात (सामग्री) काम माय लेहोते अणी वेबसाईट नी वात(सामग्री) तमई आत्मा माय बढवा नी सान्ती आलवा माय मदत करहीँ। परमेसर तमई आसिस आले!

 

परिसय

भासा रो परिचय
वागड़ी एक भीली भासा है। ई भासा राजस्थान का खेड़वाड़ा, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ आ दक्षिण उदयपुर जिलां म बोलाय जावे है। गुजरात का साबरकांठा आ पंचमहल जिलां म भी ई भासा बोली जावे है।
ई भासा एक क्षेत्रीय भासा मानी जावे है, आ सौ सूं ज्यादा जातियां ई भासा बोलवे है। 
वागड़ी समाज रो आपरो अलग सांस्कृतिक रंग, भासा आ परंपरा होवे है। ई समाज राजस्थान आ गुजरात री धरती सूं जुड़ेलो है। ई लोकां री आपरी गाड़ो पहचान आ विरासत है।
 

पहचान

ई लोकां रो आपस म आ पड़ोसियूं सूं घणो गाड़ो मेल है। ई लोक बोली म नरम आ स्वभाव सूं मददगार होवे है।

आबादी
2011 री जनगणना म भारत म वागड़ी भासा बोलणारा लोकां री संख्या 33,90,000 बताई गई है।

वागड़ी इलाको को नक्शो

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